मैं केन्द्रीय रेशम बोर्ड (के.रे.बो.) के अग्रणी संगठन, केन्द्री य तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थासन (के.त.अ. व प्र.सं.) का निदेशक के रूप में नेतृत्व करने के लिए बेहद भाग्यशाली हूँ, जो तसर के क्षेत्र में अनुसंधान और विकासात्मक गतिविधियों के लिए समर्पित दुनिया का एकमात्र संस्थान है । के.त.अ. व प्र.सं., राँची की स्थापना 1964 में केन्द्री य रेशम बोर्ड के तत्वावधान में देश में जनजातीय आधारित ग्रामीण सूक्ष्म उद्यम उष्णकटिबंधीय एवं शीतोष्ण तसर को अनुसंधान और विकास सहायता प्रदान करने के लिए की गई थी । 06 क्षेत्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान केन्द्रों (क्षे.रे.उ.अ.के.), 03 अनुसंधान विस्तार केंद्रों (अ.वि.के.), एक पी4 प्रजनन केंद्र और एक कच्चा माल बैंक के अपने नेटवर्क के साथ के.त.अ. व प्र.सं. कमांड राज्यों में हितधारकों को अत्याधुनिक तकनीकी जानकारी प्रदान करता है । संस्थान की अधीनस्थ इकाइयों ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, प्रशिक्षण, विस्तार गतिविधियों और क्षेत्र उन्मुख अनुसंधान के संचालन की जिम्मेदारी ली है ।
संस्थान का जोर लागत प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों के विकास और प्रसार पर रहा है जिसमें उपज और प्रतिफल को अधिकतम करने के लिए क्षेत्र के अधिकारियों और उद्योग को शामिल किया गया है । तसर मूल्य श्रृंखला, समुदाय संचालित उत्पादक संस्थानों, उप-उत्पाद उपयोग पर अनुसंधान, कार्पोरेट और गैर-सरकारी संगठनों के साथ जुड़ाव आदि में सूक्ष्म-उद्यमिता के अनुकरणीय मॉडल की स्थापना के लिए हाल की पहल, स्थायी आदिवासी आजीविका के निर्माण में और मदद करेगी ।
के.त.अ. व प्र.सं. उपयुक्त प्रौद्योगिकियों के विकास में उत्कृष्टता प्राप्त करने के साथ-साथ क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता, मानव संसाधन विकास और अन्य परामर्शी सेवाओं के लिए 15 राज्यों के साथ समन्वय का काम करता है । संस्थान ने अत्यधिक विशिष्ट क्षेत्रों, विकास, प्रशिक्षण और विस्तार सेवाओं में वैज्ञानिक विशेषज्ञता में अंतराल को दूर करने के लिए कई संस्थानों, विश्वविद्यालयों, कार्पोरेट और गैर-सरकारी संगठनों के साथ सहयोग किया है ।
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