केन्द्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (के.त.अ. व प्र.सं.) उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण (ओक) तसर क्षेत्रों की अनुसंधान एवं विकास आवश्यकताओं को पूरा करने वाला एक उत्कृष्ट संस्थान है । देश में तसर रेशम उद्योग के समग्र विकास के लिए संस्थान की स्थापना रांची में 1964 में केंद्रीय रेशम बोर्ड, वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में की गई थी । यह तसर संवर्धन से जुड़े हितधारकों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के अंतिम उद्देश्य के साथ, अनुसंधान एवं विकास और क्षेत्र में इसके प्रभावी हस्तांतरण के माध्यम से उपयोगी तकनीकों के प्रसार कार्य में संलग्नत है । प्रत्यक्ष क्षेत्र प्रयोज्यता के तसर पालन के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान करने के अलावा, यह उच्च उत्पादकता और गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए तसर रेशमकीट की कुछ जटिलताओं का पता लगाने के लिए आण्विक स्तर पर अनुसंधान भी करता है । संस्थान के पास 06 क्षेत्रीय केन्द्र (क्षे.रे.उ.अ.के.), 03 अनुसंधान विस्तार केंद्र (अ.वि.के.), 01 P4 केन्द्र और 01 कच्चा माल बैंक है, जो उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण दोनों के तहत नियंत्रण राज्यों को अत्याधुनिक तकनीकी जानकारी प्रदान करता है । संस्थान राज्यों को उष्णकटिबंधीय तसर के लिए झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश और पंजाब और ओक तसर के लिए उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश आवश्यकता आधारित अनुसंधान, विकास/विस्तार और मानव संसाधन विकास सहायता प्रदान करता है । अनुसंधान गतिविधियों की प्राथमिकता उष्णकटिबंधीय और ओक तसर रेशमकीट की उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में लागत प्रभावी प्रौद्योगिकियों के मूल्यांकन पर आधारित है ।